क्रांति
तुम्हारी क्रांति मेरे घर के बाहर छोड़ के आओ,
मेरा जिवन मैं जिस हाल में व्यतीत कर रही हू वो तुम्हारे क्रांती की परिभाषा को नहीं समज आएगा,
तुम बस बोल सकते हो,
तुम बस हमारा जिवन देख सकते हो,
तुम बस हमारा जिवन लिख सकते हो,
तुम जी नहीं सकते हमारा जिवन,
"तुम" और "हम" में फरक है,
तुम हमारे लिए काम करते हो जरूर,
पर हमारे यहाँ तुम रहते नहीं,
तुम रहते हो दुर कही किसी बेहतर जगह,
हमारा संघर्ष जिंदगी जिने का है,
इसी को लेकर तुम करते हो संघर्ष तुम्हारे मुताबिक,
हमारे रोजमर्रा के संघर्ष से हमें रोटी तक नहीं मिलती कभी कभी,
हमारा संघर्ष लिख कर तुम्हें PhD यां मिलती है...!!
*-Budhisar Shikare*
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